घ- घर-हिंदी कविता – A2Z

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हर घर की एक दास्ताँ होती है, एक व्यक्तित्व होता है
जो उसकी दीवारें बयान करती हैं, उसका छत बतलाता है
खिड़कियाँ झांकती हैं, खुशियों की आंखमिचोली में
दरवाज़ें तोमर से स्वागत करते हैं।

घर जो बच्चों की हंसी से निखरता है,
परस्पर प्रेम से पनपता है
त्योंहारों में सजता है, छुट्टियों में ऊंघता है
अपनी आशाओं, अपने आसमान से गूंजता है।

दीवारों की रंगरोगन पता बताती है
छत पर लटका नज़रबटु, रोगबलायें लेता है
अपने अंदर रहने वालों की सुगबुगाहट से परिचित
हर घर चमकता है, एक कहानी बुनता है।

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Published by Daisy

I write whenever ideas crunch and overwhelme me! It's my reaction outpour.

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