माँ। जिस शब्द में पूरा ब्रह्माण्ड छिपा हैजिसका वात्सल्य किसी विशेषण का मोहताज नहींजिसकी उपमा के लिए, कोई भी अलंकार कम हैमाँ तुम्हे शब्दों में बाँध पाना कठिन है तुम्हारे बारे में क्या बोलूं माँजो पहले नहीं बोला गयातुम एक व्यक्तित्व नहीं, एक एहसास होमेहफ़ूज़ हूँ मैँ, इस बात का विश्वास हो तुम्हारी आवाज़ कीContinue reading “वात्सल्य- हिंदी कविता – A2Z”
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उठाते हैं सर जब पीले फूल- हिंदी कविता – A2Z
बसंत पंचमी की देहरी परजब सरसों के पीले फूल सर उठाते हैंकुमुदिनी की बहार मीठी बयार छेड़ती हैदोपहरिया लम्बी होती जाती हैऔर शाम खुशगंवारहरियाली का आँचल पेड़ों को सहलाता हैताज़ा तरीन हलके हरे पत्तेकोपलों से फुफुसाते हैंधानी सी चुनरअंगड़ाई भर के सज जाती हैबारिश की फुहारें चमकीले छीटें बरसाती हैअंतर्मन गीला कर जाती हैरोआं रोआंContinue reading “उठाते हैं सर जब पीले फूल- हिंदी कविता – A2Z”
तजुर्बा- हिंदी कविता – A2Z
तेरी दग़ाबाज़ी ने हमारा ये हाल कियाकुछ और नहीं तो तजुर्बा दे दियाअब लोगों को नसीहतें देते फिरते हैंप्यार, और उसके नुक्सान के। मुक़म्मल इश्क़ ना सहीशक्सीयत तो मेरी ज़हीन थीमेरे हालातों ने मुझे तजुर्बा दियाउम्र की औपचारिकता की जरुरत नहीं पडी। अब किसी के साथ की तलब नहीं रहीतजुर्बे ने गलतियों से बचा केContinue reading “तजुर्बा- हिंदी कविता – A2Z”
शाम का मंज़र- हिंदी कविता – A2Z
गर्मी के दिन थे, शाम का समय था,मैं आँगन में बैठी थी, पर मैं तो कवियित्री हूँ,तो मैं ऐसा क्यों कहूं? मैं तो कुछ ऎसा कहूँगीसुरमई सी शाम थी, लू के थपेड़े अब ख़स की ठंडकमें दब रहे थे, बागीचे से गुलाबों की ताज़ी हवाएक मजमा जमा रही थी, और हवा भी कैसीजैसे हज़ार घुंघरुओंContinue reading “शाम का मंज़र- हिंदी कविता – A2Z”
रात की चादर-हिंदी कविता – A2Z
सितारों की ओढ़नी से ये रात सुसज्जित है चंदा की बिंदिया माथे पर दमकती है रात की रानी मदहोशी सेचांदनी मे निखरती हैं फिर वही रात हैं खाविषों से धूलि हुई मैंने हाथ बढ़ा करकुछ सितारे समेटे हैं सपनो के बोयाम में रखकरछोड़ दिया है टिमटिमाहट तब परोसूँगी जब हसरतें उड़ान भरेंगी चंपा के गजरेContinue reading “रात की चादर-हिंदी कविता – A2Z”
किनारा- हिंदी कविता – A2Z
मँझधार में क्या मज़ा है, किनारा नहीं जानताकिनारे में क्या ठहराव है, लहरों को इल्म नहींदोनों मलंग हैं अपनी ही रूहानियत मेंअपनी ही नियति में, अपने ही सूरज में। नमकीन मँझधार को पाने की चाहत मेंलहरें किनारे से किनारा करती हैंउठती हैं, बढ़ने की चाहत में, बीच भंवरपर भींग कर, लौटती हैं, बेसब्र और झुँझलाईContinue reading “किनारा- हिंदी कविता – A2Z”
प्रबोधन – हिंदी कविता – A2Z
कौतुहल से दूर, स्वयं के पासप्रकृति में विचरते हुएपेड़ फूल आसमान को फलते हुएमैंने देखा है, महसूस किया है सृजन की शक्ति कोपेड़ों की ओट में, चमकते सूरज कोपत्तों की गोद में, दुलारे फूलों कोहरियाली की छाओं में,ठंडी बयार को एक पोषण मिलता हैहमारी थकियारी चेतनाओं कोमन में शुद्धि , तन में स्फूर्तिएक तरोताज़ा छलांगContinue reading “प्रबोधन – हिंदी कविता – A2Z”
औरत-दुर्गा भी, काली भी!- हिंदी कविता – A2Z
जब दुर्गा मिटटी की मूरत है,तो उसकी पूजा करते हैंपर जब दुर्गा जीवंत है, तब उसकी अवहेलना करते हैंढोल,शंकनाद, आरती से प्रतिमा का स्वागत करते हैंऔर जब लक्ष्मी ब्याह के लाते हैं, उसका निरादर करते हैं बहुत हुआ ये दोगलापन, ये आडम्बर, ये दिखावानारी तू नारायणी ही नहीं, कालरात्रि और मृत्यु भी हैतू जननी औरContinue reading “औरत-दुर्गा भी, काली भी!- हिंदी कविता – A2Z”
नारी- हिंदी कविता – A2Z
मैं ख्वाबों को साड़ी की छोर से बांधती हूँमैं रिश्तों को गुल्लक में सहेजती हूँमैं अपना परिचय अपने परिजनों में पाती हूँमैं पल छीन लम्हों से ज़िन्दगी सजाती हूँमैं ख़ुशी में रोती हूँ, गम में मुस्कुराती हूँहरा नीला दर्द, दिल की कैफियत छुपाती हूँमैं विश्वास के आईने में, आशा की बिंदी लगाती हूँमैं मुख़्तसर सेContinue reading “नारी- हिंदी कविता – A2Z”
मुसाफिर – हिंदी कविता – A2Z
चाँद रात का मुसाफिरभीनी गलियों में निकल पड़ता हैसितारों की कॉलोनी से गुज़रते हुएचौराहे पे चल पड़ता है झोले में चांदनी की छीटेंऔर खूशबूएं हज़ार हैमतवाला मुसाफिर चाँद हैफुर्सत की रात में टहलता है रुकता है, सुस्ताता हैमुसाफिरखाने की भीड़ छटती हैफिर चांदनी का कश मारकेरात के सन्नाटे को निगलता है धीमी आंच में थकContinue reading “मुसाफिर – हिंदी कविता – A2Z”