
मैं ख्वाबों को साड़ी की छोर से बांधती हूँ
मैं रिश्तों को गुल्लक में सहेजती हूँ
मैं अपना परिचय अपने परिजनों में पाती हूँ
मैं पल छीन लम्हों से ज़िन्दगी सजाती हूँ
मैं ख़ुशी में रोती हूँ, गम में मुस्कुराती हूँ
हरा नीला दर्द, दिल की कैफियत छुपाती हूँ
मैं विश्वास के आईने में, आशा की बिंदी लगाती हूँ
मैं मुख़्तसर से दिन में, पूरी ज़िन्दगी जी जाती हूँ
अपने नाम पर पिता और पति के उपनाम की ज़िल्द चढ़ाती हूँ
परतों और दायरों के बीच स्वछंद लहराती हूँ
मैं एक दुआ,एक जज़्बा, एक चिंगारी हूँ
मेरी यही पहचान है, मैं एक नारी हूँ ।
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नारी की इतनी सुंदर व्याख्या- विश्वास के आईने में आशा की बिंदी लगाती हूँ। परतों और दाएँ के बीच स्वच्छंद लहराती हूँ। वाह!! क्या बात है !!
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Thankyou so much dear Navita ❤️
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मैं एक दुआ,एक जज़्बा, एक चिंगारी हूँ
मेरी यही पहचान है, मैं एक नारी हूँ ।
You summed up everything so beautifully. Do visit my blog for some unique facts on fairy tales
Deepika Sharma
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Thankyou so much dear Deepika ❤️will definitely read your post🤗
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You have described a woman’s view of her identity so well!
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Thankyou so much Satabdi for reading ❤️
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I loved the phrase ‘asha ki bindi’
Beautiful ❤️
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Me 2💚🤗Thankyou!!
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